निशा है, निराशा नहीं!
अंधेरा हो कितना भी घना,
खुश रहना मुश्किल होगा,माना।
जो अंधेरा है बिखर जायेगा,
सवेरा फिर निखर जायेगा।
आँधियों से सूरज कभी बूझा नहीं,
निशा है, निराशा नहीं।
तूफ़ान तृष्णा जो मन में उठे ना,
चंचल मन जो ध्यान साधे ना,
अंधकार भरे मन को मार्ग सूझा नहीं।
आँधियों से सूरज कभी बूझा नहीं।
निशा है, निराशा नहीं।
करे संघर्ष चांद अंधेरों से,
खिल जाए मन अबोध बालक के मुस्कान से,
भूले गम को खुशी बांटने से,
सरल जीवन संघर्षक को रुझा नहीं।
आँधियों से सूरज कभी बूझा नहीं।
निशा है, निराशा नहीं।
फूल जो महके ना,
जननी जीवन दे ना,
जीवन तेरा, संघर्ष भी तेरे
लड़ेगा भी तू ही, कोई दूजा नहीं।
आँधियों से सूरज कभी बूझा नहीं।
निशा है, निराशा नहीं।
मुक्ति का मार्ग भी तू,
निशा में लौ की मसाल भी तू,
तू ही शस्त्र, शास्त्र भी तू,
केवल सपने देख आँखे सूजा नहीं।
आँधियों से सूरज कभी बूझा नहीं।
निशा है, निराशा नहीं।
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